Thursday, June 30, 2011

अमरनाथ यात्रा का रहस्य व कथा

पुराणों में संस्मरण है कि एक बार माँ पार्वती ने बड़ी उत्सुकता के साथ बाबा श्री विश्वनाथ देवाधिदेव माहदेव से यह प्रश्न किया की ऐसा क्यूँ होता है की आप अजर अमर है और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरुप में आकर फिर से वर्षो की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है | जब मुझे आपको ही प्राप्त करना है तो फिर मेरी यह तपस्या क्यूँ...? मेरी इतनी कठोर परीक्षा क्यूँ....? और आपके कंठ में पड़ी यह नरमुण्ड माला तथा आपके अमर होने का कारण व रहस्यक्या है...? महाकाल ने पहले तो माता को यह गूढ़ रहस्य बताना उचित नहीं समझा परन्तु माता की स्त्री हठ के आगे उनकी एक न चली | तब अन्त्त्वोगत्व्या महादेव शिव को माँ पार्वती को अपनी साधना की अमर कथा जिसे हम अमरत्व की कथा के रूप में जानते है इसी परम पावन अमरनाथ की गुफा में कही | अमरनाथ यात्रा हिन्दी मास के आषाढ़ पूर्णिमा से श्रावण मास की पूर्णिमा तक होती है, जो अंग्रेजी माह जुलाई से अगस्त तक लगभग ४५ दिन तक चलती है। भगवान शंकर ने माँ पार्वती जी से एकान्त व गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा जिससे कि अमर कथा को कोई भी जीव, व्यक्ति और यहां तक कोई पशु-पक्षी भी न सुन ले। क्योंकि जो कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता, वह अमर हो जाता। इस कारण शिव जी पार्वती को लेकर किसी गुप्त स्थान की ओर चल पड़े। सबसे पहले भगवान भोले नें अपनी सवारी नन्दी को पहलगाम पर छोड़ दिया, इसीलिए बाबा अमरनाथ की यात्रा पहलगाम से शुरू करने का तात्पर्य या बोध होता है। आगे चलने पर शिव जी ने अपनी जटाओं से चन्द्रमा को चंदनवाड़ी में अलग कर दिया तथा गंगा जी को पंचतरणी में और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग पर छोड़ दिया, इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। आगे की यात्रा में अगला पड़ाव गणेश टॉप पड़ता है, इस स्थान पर बाबा ने अपने पुत्र गणेश को भी छोड़ दिया था, जिसको महागुणा का पर्वत भी कहा जाता है। पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया। इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अपने से अलग कर दिया। इसके बाद मां पार्वती संग एक गुप्त गुफा में प्रवेश कर गये। कोई व्यक्ति, पशु या पक्षी गुफा के अंदर प्रवेश कर अमर कथा को न सुन सके इसलिए शिव जी ने अपने चमत्कार से गुफा के चारों ओर आग प्रज्जवलित कर दी। फिर शिव जी ने जीवन की अमर कथा मां पार्वती को सुनाना शुरू किया। कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई और वह सो गईं जिसका शिव जी को पता नहीं चला. भगवन शिव अमर होने की कथा सुनाते रहे | इस समय दो सफेद कबूतर श्री शिव जी से कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे. शिव जी को लग रहा था कि माँ पार्वती कथा सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रहीं हैं. इस तरह दोनों कबूतरों ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली. 
कथा समाप्त होने पर शिव का ध्यान पार्वती की ओर गया जो सो रही थीं | शिव जी ने सोचा कि पार्वती सो रही हैं तब इसे सुन कौन रहा था | तब महादेव की दृष्टि तब कबूतरों पर पड़ी, महादेव शिव कबूतरों पर क्रोधित हुए और उन्हें मारने के लिए तत्पर हुए | इस पर कबूतरों ने शिव जी कहा कि हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी | इस पर शिव जी ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप निवास करोगो | 

अत: यह कबूतर का जोड़ा अजर अमर हो गया। माना जाता है कि आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को यहां प्राप्त होता है | और इस तरह से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई व इसका नाम अमरनाथ गुफा पड़ा। जहां गुफा के अंदर भगवान शंकर बर्फ के प्रकृति द्वारा निर्मित शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। पवित्र गुफा में मां पार्वती के अलावा गणेश के भी अलग से बर्फ से निर्मित प्रतिरूपों के भी दर्शन करे जा सकते हैं। इस पवित्र गुफा की खोज के बारे में पुराणों में भी एक कथा प्रचलित है कि एक बार एक गड़रिये को एक साधू मिला, जिसने उस गड़रिये को कोयले से भरी एक बोरी दी। जिसे गड़रिया अपने कन्धे पर लाद कर अपने घर को चल दिया। घर जाकर उसने बोरी खोली। वह आश्चर्यचकित हुआ, क्योंकि कोयले की बोरी अब सोने के सिक्कों की हो चुकी थी। इसके बाद वह गड़रिया साधू से मिलने व धन्यवाद देने के लिए उसी स्थान पर गया, जहां पर वह साधू से मिला था। परंतु वहां पर उसे साधू नहीं मिला, बल्कि उसे ठीक उसी जगह एक गुफा दिखाई दी। गड़रिया जैसे ही उस गुफा के अंदर गया तो उसने वहां पर देखा कि भगवान भोले शंकर बर्फ के बने शिवलिंग के आकार में स्थापित थे। उसने वापस आकर सबको यह कहानी बताई। और इस तरह भोले बाबा की पवित्र अमरनाथ गुफा की खोज हुई और धीरे-धीरे करते दूर-दूर से भी लोग पवित्र गुफा एवं बाबा के दर्शन को पहुंचने लगे जो आज तक प्रतिवर्ष जारी है |

श्री अमरनाथ जी के दर्शन से लाभ:-
बाबा अमरनाथ दर्शन का महत्व पुराणों में भी मिलता है। पुराण अनुसार काशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देनेवाले श्री अमरनाथ के दर्शन है।

1 comment:

  1. is khine me yea to h hi nhi jo kthea parvti ko sunea rhea thea wo kon si h aaj tak koi is khine ko koi jantea nhi h

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