Thursday, June 16, 2011

|| क्या है मंगल दोष अथवा कुज दोष - प्रभाव तथा दोष निवारण हेतु सरल उपाय ||


मंगल दोष एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है, जो जिस किसी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे बड़ी ही अजीबोगरीब परिस्थिति का सामना करना पड़ता है, खासकर कन्याओ को तो कही जादा....उनके जीवन में या उनके आस पास किसी भी प्रकार की अशुभ घटना को उनसे जोड़ कर देखा जाता है...तरह तरह के ताने दिए जाते है.... आइये समझे के मंगल दोष है क्या....? और बनता कैसे है...? 
यह सम्पूर्णत: ग्रहों की स्थति पर आधारित है | वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक के जन्म चक्र के 1, 4, 7, 8 और 12 वे घर में मंगल हो तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहा जाता है | यह स्थति विवाह के लिए अत्यंत विनाशकारी और अशुभ मानी जाती है | संबंधो में तनाव व बिखराव, कुटुंब में कोई अनहोनी व अप्रिय घटना, कार्य में बाधा और असुविधा तथा किसी भी प्रकार की क्षति और दंपत्ति की असामायिक मृत्यु का कारण मांगलिक दोष को माना जाता है | ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में एक मांगलिक को दुसरे मांगलिक से ही विवाह करना चाहिए | यदि वर और वधु मांगलिक होते है तो दोनों के मंगल दोष एक दुसरे से के योग से समाप्त हो जाते है | मूल रूप से मंगल की प्रकृति के अनुसार ऐसा ग्रह योग हानिकारक प्रभाव दिखाता है, लेकिन वैदिक पूजा-प्रक्रिया के द्वारा इसकी भीषणता को नियंत्रित कर सकते है | मंगल ग्रह की पूजा के द्वारा मंगल देव को प्रसन्न किया जाता है, तथा मंगल द्वारा जनित विनाशकारी प्रभावों, सर्वारिष्ट को शांत व नियंत्रित कर सकारात्मक प्रभावों में वृद्धि की जा सकती है |

 मंगल दोष शांति के विशेष दान :- 
शास्त्रानुसार लाल वस्त्र धारण  करने से व किसी ब्रह्मण अथवा क्षत्रिय को मंगल की निम्न वास्तु का दान करने से जिनमे -  गेहू, गुड, माचिस, तम्बा, स्वर्ण, गौ, मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य तथा भूमि दान करने से मंगल दोष दूर होता है | लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल जनित अमंगल दूर होता है |

आइये मंगल दोष शांति के कुछ सरल उपाय जानते है:- 
1 - चांदी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर हनुमान मंदिर या किसी निर्जन वन, स्थान में रखने से मंगल दोष शांत होता है | 
2 - मंगलवार को सुन्दरकाण्ड एवं बालकाण्ड का पाठ करना लाभकारी होता है |
3 - बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं |
4 - मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता है |
5 - माँ मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता है |

6 - कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशप्रभाव में लाभ मिलता है |

7 - मंगलवार को बताशे व गुड की रेवड़ियाँ बहते जल में प्रवाहित करें |
8 - आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें |
9  - मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा श्रीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य करें |
10 - मांगलिक वर अथवा कन्या को अपनी विवाह बाधा को दूर करने के लिए मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए।
11 - मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गाठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरूवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए |
12 -  मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से व हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता है |
13 - महामृत्युजय मंत्र का जप हर प्रकार की बाधा का नाश करने वाला होता है, महामृत्युजय मंत्र का जप करा कर मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक व दांपत्य जीवन में मंगल का कुप्रभाव दूर होता है |
14 - यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण  प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करे, तत्पश्चात विवाह करे |
15 - यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं। 
16 - यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है |

क्या है....स्वस्थ सुन्दर, मेधावी, संस्कारी संतान प्राप्ति के सरल वास्तु उपाय....?


जिस किसी दंपत्ति को विवाह के वर्षो बाद स्वस्थ होने के बावजूद भी गर्भ धारण नहीं हो पाता या बार-बार गर्भपात हो जाता है, इस समस्या या दोष का एक प्रमुख कारण कुंडली दोष अथवा पितृ दोष एवं घर का वास्तुदोष भी होता है।
1- यदि घर का आंगन पूर्व पश्चिम जादा लम्बा है तो वंश वृद्धि नहीं होती, आंगन का आयताकार उत्तर दक्षिण जादा होना या चौकोर होना आवश्यक है |  
2 - यदि घर की पूर्व दिश बाधित होगी तो भी सांतव वृद्धि में बाधा होती है और दक्षिण का खुला या हल्का होना बार बार संतान की हानि कराता है |
3 - यदि घर के दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य ) और उत्तर पूर्व (इशान) में दोष होगा तो यह परिवार में पितृ दोष का सूचक है, ऐसी इस्थ्ती में भी संतान नहीं होती |  
4 - नव दंपत्ति को शुरु के कुछ काल लगभग एक वर्ष तक घर के उत्तर पश्चिम में रहना गर्भ धारण के लिए लाभकारी होता है |
5 - जिन दम्पतियों का विवाह हुए काफी समय हो गए और गर्भधारण अथवा संतान प्राप्त न हो रही हो तो उन्हें हमेशा घर के पश्चिम, दक्षिण पश्चिम  (नैऋत्य ) या दक्षिण दिशा का कमरा देना चाहिए।

6 - शयन कक्ष की उत्तर - पश्चिम दीवार पर धातु से बनी कोई सौम्य, सात्विक एवं आकर्षक वस्तु लगाएं।
7 - गर्भधारण के बाद  दक्षिण पश्चिम  (नैऋत्य ) में रहे व सोने की व्यस्था दक्षिण सर रख कर करे तथा संतान के जन्म तक बिस्तर की दिशा ना बदलें।

8 - कमरे के उत्तर - पश्चिम छोर पर बच्चों के समूह की तस्वीर टांगे। इससे सामान्य प्रसव में सहायता मिलती है।
9 - ऐसी स्त्री को माणिक या मूंगा पहनने से विशेष लाभ मिलता है।
10 - इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि गर्भ धारण करने के बाद उसके बिस्तर के नीचे की झाड़ू ना लगाएं।
11 - ऐसे काल में वृद्धो व गुरु की सेवा करे |
12 - हरिवंश पुराण का पाठ संतान गोपाल मंत्र का जाप तथा पितृ दोष निवारण घर में अवश्य कराये |

क्या आप अपने नकारात्मक विचार से परेशान है ?


क्या आप अपने नकारात्मक विचार से परेशान है ?
मन में आते है बुरे ख्याल ?
क्या घर से बाहर आप जादा सुखी व प्रसन्न रहते है ? 
क्या आपका आत्मविश्वास दिनों दिन गिरता जा रहा है ? 
क्या आपको अपने घर में आते ही क्रोध व गुस्सा आता है ?

क्या आपका व्यहार अपने परिवार से बहुत ही कठोर और कडवा हो गया है ? 
क्या आपने कभी सोचा....
इसका कारण आपके घर का गंभीर वस्तु दोष भी हो सकता है...........? 
तो जानिए गंभीर वस्तु दोष के सरल चमत्कारी उपाय........


यदि आपको अपने घर या अपने घर के किसी भी कमरे में कुछ जादा ही नकरात्मक विचार आते है या उस कमरे में नकारात्मक उर्जा जादा महसूस होती है तो इसका प्रमुख कारण घर या उस कमरे विशेष में वास्तु दोष का होना है | इस समस्या के कई कारण प्रमुख है, यदि घर की लम्बाई चौड़ाई पूर्व - पश्चिम जादा होगी जिसे वास्तुशास्त्र में सूर्य भेदी भवन कहते है, ऐसा होने से नकारात्मक विचार, बात बात पर क्रोध आना व उत्तेजना का होना, आर्थिक, मानसिक व शारीरिक कष्ट, उच्च रक्तचाप जैसी समस्या का होना माना जाता है | ऐसा तब भी होता है जब घर का उत्तर पूर्व का कोना दूषित होगा या फिर घर के दक्षिण पश्चिम के कोने में कोई गंभीर वास्तु दोष होगा |
1 - घर के ईशान्य कोण में यदि दोष हो तो उसमें ताम्र कलश में जल भर कर, थोड़ी सी हल्दी चूर्ण व पंच रत्न डालकर, कलश पर केसर से स्वास्तिक बनाकर स्थापित करे।
2 - अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करे के घर व घर के हर कमरों में सात्विक, हल्के व शुभ रंग व सजावटी वस्तुओ का ही सयोंजन हो | 
3 - घर में ख़राब विद्युत उपकरण, अनावश्यक वस्तु,  निर्जीव - सूखे पौधे या सूखे फूलों का गुलदस्ता निराशा में वृद्धि करता है क्यूंकि सूखे फूल मृत शारीर के सामान है जिनसे सदैव नकारात्मक उर्जा ही निकलती है तो अच्छे विचार कहाँ से आ सकते है | 
4 - घर में जागृत फूलों का पौधा, गुलदस्ता अवश्य रखे।
5 - आतंरिक सज्जा हेतु उदास, रोती हुई, गंभीर, भद्दी आकृतियां, कलाकृतियों तथा चित्रों का प्रयोग बिलकुल न करे, इनका सीधा प्रभाव व्यक्ति की मनोदशा, स्वास्थ्य व घर की शुभ उर्जा पर पड़ता है |
6 - भवन के अन्दर या आसपास सूखे, जले हुए, कटे, वृक्ष न हो, यह अशुभता में वृद्धि करते है |
7 - भवन में या उसके आस पास को बड़े कारखाने, कर्कश आवाज़े, तनाव युक्त कष्ट का वातावरण जैसे कचहरी, थाना, बिजली घर, अस्पताल, देवी मंदिर न हो क्यूंकि इनके आसपास की नकारात्मक उर्जा भी आपके वास्तु पर बुरा प्रभाव डालती है |
8 - पुराने भवन में अक्सर सीलन की समस्या देखी जाती है जो शास्त्र में वास्तु पुरुष के चर्म रोग के सामान मानी गई है तथा नकारात्मक ऊर्जा का सूचक होती हैं, किसी घर में यदि देवता ही पीड़ित है तो रहने वाले कहाँ से सुखी हो सकते है, ऐसी इस्थ्ती में उसे तत्काल ठीक करा लेना चाइये | 
9 - किसी व्यक्ति का उत्तर पश्चिम दिशा के कमरे में जादा दिन तक नियमित रहना भी उसके बुरे विचार, बुरी आदते, मानसिक तनाव व दिवालियेपन का प्रमुख कारण बनता है |