जिस प्रकार मनुष्य के शारीर में रोग के प्रविष्ट करने का मुख्य मार्ग मुख होता है उसी प्रकार किसी भी प्रकार की समस्या के भवन में प्रवेश का सरल मार्ग भवन का प्रवेश द्वार ही होता है इसलिए इसका वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है।गृह के मुख्य द्वार को शास्त्र में गृहमुख माना गया है। यह परिवार व गृहस्वामी की शालीनता, समृद्धि व विद्वत्ता दर्शाता है। इसलिए मुख्य द्वार को हमेशा अन्य द्वारों की अपेक्षा प्रधान, वृहद् व सुसज्जित रखने की प्रथा रही है। पौराणिक भारतीय संस्कृति व परम्परानुसार इसे कलश, नारियल व पुष्प, अशोक, केले के पत्र से या स्वास्तिक आदि से अथवा उनके चित्रों से सुसज्जित करने की प्रथा है | जो आज के इस अध्युनिक युग के शहरी जीवन में भोग, विलासिता के बीच कही विलुप्त सी हो गई है | मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला होना अनिवार्य है। इसे दहलीज भी कहते हैं। यह भवन में निवास करने वाले सदस्यों में शुभ व उत्तम संस्कार का संगरक्षक व पोषक है | पुरानी मान्यता के अनुसार ऐसे भवन जिनमे चौखट या दहलीज न हो उसे बड़ा अशुभ संकेत मानते थे, मान्यता है की माँ लक्ष्मी ऐसे घर में प्रवेश ही नहीं करती जहाँ प्रवेश द्वार पर चौखट न हो और ऐसे घर के सदस्य संस्कारहीन हो जाते है | इसकी दूसरी अनिवार्यता यह है की इससे भवन में गंदगी भी कम प्रवेश कर पाती है तथा नकारात्मक उर्जाओ या किसी शत्रु द्वारा किया गया कोई भी नीच कर्म भी भवन में प्रवेश नहीं कर पाता | चौखट अथवा दहलीज पुरातनकाल से ही हमारे संस्कार व जीवनशैली का एक प्रमुख अंग रही है | इनपर कितने सारे क्षेत्रीय मुहावरे, लोकौक्तिया आधारित है |
- यदि आपका मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व में है तो इसे हरे व पीले, गुलाबी रंग से रंगवाना शुभ होगा यदि यह दक्षिण है तो लाल और पश्चिम है तो हल्का नीला, भूरा, सफ़ेद रंग प्रयोग कर सकते है यह वास्तु सम्मत है |
- प्रातः मुख्य द्वार खोल कर सर्वप्रथम दहलीज पर जल छिड़कना चाहिए जिससे रात में वहां एकत्रित हुई दूषित ऊर्जा दूर हो जाएं तथा गृह में प्रवेश ना पाए और लक्ष्मी आने का मार्ग प्रशस्त हो |
- मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों तरफ (अगल बगल) व ऊपर रोली, कुमकुम, हल्दी, केसर आदि घोलकर स्वास्तिक व ओमकार (ॐ ) का शुभ चिन्ह बनाएं।
- मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर अपने सामर्थानुसार रंगोली बनाना या बनवाना शुभ होता है जो माँ लक्ष्मी को आकृष्ट करता है व नकारात्मक ऊर्जाओं के प्रवेश को रोकता है।
-मुख्य द्वार को कलश, नारियल, पुष्प, अशोक व केले के पत्र से या स्वास्तिक आदि से सुसज्जित रखने का प्रयास करे जिससे यह अन्य द्वारो से भिन्न व विशेष दिखे |
- मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला होना अनिवार्य है। जिससे घर में संस्कार बने रहते है और माँ लक्ष्मी भी ऐसे ही घर में प्रवेश करती है|
- घर के सदस्यों व गृह लक्ष्मी की ज़िम्मेदारी है की सूर्योदय उपरांत ही मुख्य द्वार को साफ़ सुथरा व सुसज्जित रखे |
No comments:
Post a Comment