Friday, June 24, 2011

आग्नेय कोण में क्या करे और क्या न करे....?

भवन की आग्नेय दिशा अर्थात पूर्व दक्षिण का कोना अग्नि का स्थान है जिसके स्वामी दैत्य गुरु श्री शुक्राचार्य है परन्तु अग्नि का स्थान होने से मंगल देव का भी समान आधिपत्य है | 
क्या हो- 
- यह स्थान भवन में रसोई का सबसे उपयुक्त स्थान है | जिसमे भोजन पूर्व दिशा की तरफ मुख कर बनाया जाये |
- यहाँ पर विद्युत उपकरण आदि भी  रखे जा सकते है |
- यह स्थान भवन में ईशान और वायव्य से ऊंचा लेकिन नैऋत्य से नीचा रहना चाहिए | 
- जेनेरेटर, इन्वेर्टर, बिजली का मीटर आदि यहाँ रखे |
- यदि संयुक्त परिवार है और घर में बच्चे भी परिवार वाले विवाहित है तो घर के छोटे बेटे का कमरा यहाँ  बना सकते है |

क्या न हो- 
- आग्नेय कोण का किसी भी दिशा में बढ़ना शुभ नहीं होता, इसलिए इसे संशोधित कर वर्गाकार या आयताकार कर लेना चाहिए | 
- यहाँ कभी भी जलस्थान या बोरिंग नहीं होनी चाहिए | ऐसा होने पर यह स्थान बेहद मारक प्रभाव देने लगता है | 
-  यहाँ कभी भी सेप्टिक टेंक नहीं होनी चाहिए |
- यह स्थान कभी भी खुला नहीं छोड़ना चाहिए |
- यह स्थान घर में सबसे ऊँचा भी न हो |
- इस स्थान पर स्टोर भी न बनाये |

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